हिमाचली प्रदेश की अत्यंत समृद्ध टांकरी लिपि


 हिमाचली प्रदेश की टांकरी लिपि



हिमाचल प्रदेश में बहुत सारी बोली और भाषा का प्रयोग किया जाता है।भाषाई दृष्टि से हिमाचल प्रदेश अत्यंत समृद्ध राज्य  है।

 कभी हिमाचल प्रदेश में टांकरी लिपि प्रयोग की जाती थी। लेकिन पिछले कुछ समय से टांकरी लिपि विलुप्त हो रही है। टांकरी लिपि के बारे में बता दें,.. एक समय यह लिपि अत्यंत समृद्ध थी। बहुत पुराने राजस्व रिकॉर्ड या बहुत पुराने बर्तन, पुराने मंदिर की घंटियों में टांकरी में लिखे शब्द देखे जा सकते हैं। आज हिमाचल के चंबा जिले में चंम्बाली, बिलासपुर में कहलूरी, सिरमौर जिले में सिरमौरी, मंडी जिले में मंडयाली, कांगड़ा और हमीरपुर जिले में कांगड़ी भाषा, किन्नौर जिले में किन्नौरी, लाहौल स्पीति में तिब्बती भाषा बोली जाती है। इसके अलावा यहां पर भाटियाली, चुराही, भरमौरी, मंडयाली, सुकेती, बालडी, पालमपुरी, शिवालिकी,सैगी, छितकुली, भगाटी, गारा, रंगलोई, आदि बहुत सारी बोलियां बोली जाती है। लेकिन वर्तमान में बहुत कम लोग हैं जो टांकरी लिपि लिख पढ़ सकते हैं। टांकरी लिपि कभी उत्तर भारत की कई अन्य भाषाओं को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है। कभी कुल्लू से लेकर रावलपिंडी और उत्तराखंड के गढ़वाल में गढ़वाली भाषा भी इसी लिपि में लिखा पढ़ा जाता था। परंतु आज हिमाचल प्रदेश के अधिकतर लोग यह नहीं जानते होंगे कि उनकी भाषा की कोई लिपि भी है। हिमाचल के लोग दूसरी अन्य भाषा को अपना रहे हैं। इतनी समृद्ध और प्राचीन लिपि को संरक्षण करने के लिए सरकार को कोई योजना बनाकर आगे बढ़ना होगा तभी आने वाली पीढ़ियां अपनी भाषा को टांकरी लिपि में लिख पढ़ सकेगी।....... जय हिमालय संस्कृति🙏

संजय मल्ल



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