कोरोनावश इस साल नही होगा गोर्खा अदम्य साहस का प्रतीक खलंगा नालापानी देहरादून मेला का भव्य आयोजन । सूक्ष्म रूप में मनायेगे ।

*इस वर्ष 2020 में नहीं होगा खलंगा मेले का आयोजन* ---------------------------------------- *बलभद्र खलंगा विकास समिति* विगत 45 वर्षों से *खलंगा युद्ध* की स्मृति में प्रतिवर्ष *सागरताल , नालापानी ,देहरादून* भव्य मेले का आयोजन करती आ रही है | परंतु इस वर्ष विश्वव्यापी कोरोना महामारी के प्रकोप से सुरक्षा हेतु इस मेले का आयोजन नहीं किया जायेगा | *समिति के अध्‍यक्ष कर्नल डी०एस०खड़काजी ने अवगत कराया --- चूंकि इस वर्ष कोविड -19 के कारण खलंगा मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है , इसलिए समिति द्‍वारा यह निर्णय लिया गया है कि खलंगा युद्ध के वीर - वीरांगनाओं , जिन्होंने सन् 1814 -16 में अति शक्तिशाली अंग्रेजी फौज के कईं आक्रमणों को विफलकर उन्हें पराजय की धूल चटाई थी, उन्हीं वीरों की वीरता एवं अद्म्य साहस को याद और नमन करते हुए --- *दिनांक 29 नवम्बर 2020 रविवार को समिति के सदस्यों द्वारा खलंगा युद्ध स्मारक में श्रद्धांजलि एवं चंद्रयानी मंदिर नालापानी में सूक्ष्म पूजा अर्चना का आयोजन किया जायेगा |* चंद्रयानी मंदिर जोकि जंगल में खुले स्थान पर स्थित है , प्रशासन द्‍वारा सुरक्षा के आदेशों , सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सीमित संख्या में केवल समिति सदस्यों की उपस्थिति में सूक्ष्म आयोजन किया जायेगा | खलंगा युद्ध एंग्लो गोर्खा युद्ध 1814-16 का प्रतीक है जिसमें 600 गोर्खा सेना का नेतृत्व करते हुए *सेनापति कुँवर बलभद्र * ने इसी स्थान पर 3500 से ज्यादा तोप और उन्नत हथियार से लैस अंग्रेजों की बडी सेना के विरूद्ध बहुत बहादुरी के साथ नालापानी के जंगल में स्थित खलंगा किले में लडा़ई लडी़ थी ,जिसमें अंग्रेजों के सेनापति जनरल जिलेस्पी को भी युद्ध में मार दिया थी | युद्ध सामग्री राशन तथा पानी के अभाव व सैनिकों के रिइन्फोर्समेंट न हो सकने के कारण -सेनापति बलभद्र कुँवर जो कि सेना का नेतृत्व कर रहे थे , उन्होने अंग्रेजी सेना से हार व समर्पण को स्वीकार न करके दुर्ग में बचे हुए कुछ शेष सैनिक, महिलाओं व बच्चों को लेकर वहाँ से यह कहते हुए निकल गये --- " *मैं हारा नहीं हूँ बल्कि स्वेच्छा से दुर्ग छोड़कर जा रहा हूँ |*" गोर्खा वीरता और अदम्य साहस को देखते हुए अंग्रेजों ने नालापानी के नजदीक सहस्त्रधारा रोड में खलंगा स्मारक बनाया है । इसी खंगाला युद्ध के बाद गोर्खा को विश्व में महानतम साहसी शूरवीरो में दर्जा दिया जाता है । बलभद्र खलंगा विकास समिति के सदस्यों द्वारा दिनांक 29 नवम्बर 2020 दिन इन्हीं वीरों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी |


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