गुरु पुर्णिमा पर अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं : गोरखा इंटरनेशनल संजय मल्ल : गुरु पूर्णिमा Guru Purnima, 10th July, 2025.

आप सभी वरिष्ठ गुरु तुल्य जनों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं !🙏🏻

Guru Purnima, 10th July, 2025. 

गुरु पुर्णिमा पर अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं

गोरखा इंटरनेशनल 

 संजय मल्ल 

अंतर्राष्ट्रीय संस्थापक अध्यक्ष व संपादक 

*गुरु पूर्णिमा*

 *प्रथम गुरु* – माँ, जिन्होंने जन्म दिया।
 *द्वितीय गुरु* – धरती माँ, जिनकी गोद में हम पले-बढ़े।
 *तृतीय गुरु* – पिता, जिनकी उंगली पकड़कर चलना सीखा।
 *चतुर्थ गुरु* – शिक्षक, जिनसे ज्ञान और दिशा मिली।
 *पंचम गुरु* – आध्यात्मिक गुरु, जिनकी कृपा से जीवन में प्रकाश आया।
*गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें*









महर्षि वेदव्यास गोर्खा (नेपाली) सभ्यताको केन्द्र बिन्दु थिए तर हामी गोर्खा जातिले आफ्नो शक्ति, ज्ञानका आदिसोत्र र मार्गनिर्देशकहरूको इतिहासको पन्नामा सझाएर सामाजिक संरचनाको निर्माण गर्न भुल्यौ।

🌕🙏 गुरु पूर्णिमा तथा व्यास जयन्तिको पावन अवसरमा हार्दिक शुभकामना! 🙏🌕

आजको यो दिव्य दिन—गुरु पूर्णिमा, ज्ञानका आदिस्रोत महर्षि वेदव्यासको जन्मजयन्तिमा,
हामी सबै आफ्ना गुरुप्रति श्रद्धा, समर्पण र कृतज्ञता प्रकट गरौँ।

गुरुको आशीर्वादले
हाम्रो जीवनमा सत्य, सदाचार र आत्मज्ञानको प्रकाश फैलियोस्।
अज्ञानताको अन्धकार हटाएर, हामी ज्ञानमार्गमा अग्रसर बनौं।

📖
“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”
📖

💫 गुरुहरू सधैं मार्गदर्शक बनून्, जीवन सधैं उज्यालो बनोस्। 💫
शुभ गुरु पूर्णिमा!

हामीले भुलेको छौं कि हाम्रो संसारको तीन सभ्यता गोर्खा सभ्यताको अंश हो- हिन्दु सभ्यता, बौद्ध सभ्यता र संस्कृत सभ्यता।

महर्षि वेदव्यास, जसलाई व्यासदेव, कृष्ण द्वैपायन वा बादरायण नामले पनि चिनिन्छ, हिन्दू धर्मशास्त्रमा एक अत्यन्तै प्रतिष्ठित ऋषि हुनुहुन्थ्यो।महर्षि वेदव्यास गोर्खा/नेपाली समुदायका पूर्वज हुन् भन्ने ठोस ऐतिहासिक प्रमाण त छैन, तर उहाँको वैदिक ज्ञान परम्परा, गोत्रीय निरन्तरता, धार्मिक परम्परा, र सांस्कृतिक आस्था गहिरो रूपमा गोर्खा/नेपाली समाजमा जरा गाडेर बसेको छ।

त्यसैले, गोर्खा समुदाय वेदव्यासको ज्ञान–परम्पराका उत्तराधिकारी हुन् भन्ने व्याख्या सांस्कृतिक र धार्मिक हिसाबले पूर्णतः सान्दर्भिक छ।

उहाँलाई:
चार वेदहरूको संकलक र वर्गीकरणकर्ता (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद),महाभारतको लेखक, जसमा भगवद् गीता पनि समावेश छ,१८ पुराण र ब्रह्मसूत्रका रचयिता मानिन्छ।
, तर उहाँको वैदिक ज्ञान परम्परा, गोत्रीय निरन्तरता, धार्मिक परम्परा, र सांस्कृतिक आस्था गहिरो रूपमा गोर्खा/नेपाली समाजमा जरा गाडेर बसेको छ।

त्यसैले, गोर्खा समुदाय वेदव्यासको ज्ञान–परम्पराका उत्तराधिकारी हुन् भन्ने व्याख्या सांस्कृतिक र धार्मिक हिसाबले पूर्णतः सान्दर्भिक छ।

👉 उहाँलाई ‘आदि गुरु’ पनि भनिन्छ र गुरु पूर्णिमाको दिन उहाँकै जन्मजयन्तिका रूपमा मनाइन्छ।

२. वेदव्यास र गोर्खा/नेपाली समुदायको सम्बन्ध:-यद्यपि महर्षि वेदव्यासको जीवन मुख्यतः वैदिक भारत (विशेषतः सरस्वती–गंगा क्षेत्र) मा आधारित थियो, तर नेपाली तथा गोर्खा समुदायसँग केही सांस्कृतिक, भाषिक र पुरातात्विक सम्वन्धहरू पनि छन्, जसको व्याख्या यसप्रकार छ:
(क) सांस्कृतिक सम्बन्ध:

नेपाली/गोर्खा समुदाय वैदिक सनातन परम्परामा गहिरो रूपमा जडित छन्।महर्षि वेदव्यासद्वारा वर्गीकृत वेदहरू, महाभारत, भगवद्गीता र पुराणहरू नेपाल र हिमालय क्षेत्रका हिन्दू परम्पराको मेरुदण्ड हुन्।
गोर्खा समुदायमा व्यास, गौतम, कश्यप, भारद्वाज, भृगु, अत्रि आदि ऋषि गोत्रहरू पाइन्छन् — जसले वेदव्यासको ऋषि परम्पराबाट आउने सांस्कृतिक निरन्तरता देखाउँछ।

(ख) भौगोलिक/पौराणिक सन्दर्भ:गण्डकी नदी (नेपालमा) वेदव्याससँग प्रत्यक्ष सम्बन्धित पौराणिक नदी हो।
👉 गण्डकी क्षेत्रलाई ‘व्यासकी’ भनेर पुराणहरूमा उल्लेख गरिएको छ।मुस्ताङको मुक्तिनाथ, बुढानिलकण्ठ, र गोसाइँकुण्ड जस्ता स्थानहरू वेदव्यासकालीन सांस्कृतिक/धार्मिक महत्त्व बोकेका छन्।(ग) स्थानगत सम्बन्ध – ‘व्यास क्षेत्र’:
तनहुँ जिल्लामा रहेको व्यास नगरपालिका — भन्ने नाम नै महर्षि वेदव्याससँग जोडिएको छ।त्यहाँको किन्द्री खोला (गण्डकी क्षेत्र) मा “व्यास गुफा” नामक स्थल छ, जहाँ महर्षिले महाभारत लेखेको विश्वास गरिन्छ।





गुरुपूर्णिमा गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।। ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोः पदम् । मन्त्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ।।


आषाढ शुक्लपक्षको पूर्णिमालाई गुरुपूर्णिमा भनिन्छ। आफ्ना प्रथम गुरुहरू (माता-पिता), गायत्रीमन्त्र दिने गुरु, दीक्षामन्त्र दिने गुरु, वेदादि शास्त्र पढाई यो लोक र परलोकको सही शिक्षा दिने गुरु र आफूले पढेका विद्यालय-विश्वविद्यालयका सम्पूर्ण गुरुहरूलाई नमन गर्ने, पूजन गर्ने, चिठीपत्र, एसएमएस, टेलिफोन आदिका माध्यमबाट कृतज्ञता ज्ञापन गर्दै आशीर्वाद लिने मुख्य पर्वका रूपमा गुरुपूर्णिमा लाई लिइन्छ। 


हिन्दु धर्मशास्त्रहरूमा माता, पिता र ज्ञानदाता गुरुको तुलनामा अन्य पूज्य कोही हुँदैनन् भनी उल्लेख गरिएको छ। यसैगरी महिलाहरूका लागि माता, पिता र पति मुख्य गुरु हुन् भनी बताइएको छ। गुरुततत्त्व त्यही हो जसले जीवनमा एकपटक पाएपछि त्यो ज्ञानदाता एवं त्यस प्राप्त ज्ञानलाई प्राणभन्दा प्यारो भएको ठान्दथ्यो। ज्ञानदाता गुरुको र त्यस ज्ञानदाता गुरुको आजीवन सम्मान गर्दथ्यो।


गुरु अर्थात् गुरुतत्त्व के हो ? गुरु शब्द दुई वटा अक्षर मिलेर बनेको छ। 'गु'को अर्थ अन्धकार र 'रु'को अर्थ हो - प्रकाश। अँध्यारोमा जीव त्यसबेलासम्म भड्किन्छ, जतिखेर सम्म प्रकाश पाउँदैन । प्रकाशको पुञ्ज गुरुमा रहेको छ। अन्धकारयुक्त शिष्य अर्थात् ज्ञान नजानेर नै व्यक्ति भड्किन्छ। जब उसलाई यो यो यही रहेछ भनेर ज्ञान हुन्छ, तब ऊ प्रसन्न हुन्छ। उसको घैटामा घाम लाग्छ। त्यो अन्धकाररूप अज्ञान ज्ञानले हटाउने हुनाले अपठित, अज्ञानी वा नजानेको व्यक्ति नै ज्ञान सिक्न जाने हो। त्यो ज्ञान जसले दिन्छ, त्यो नै गुरु हो। बाटो बताउने व्यक्ति पनि गुरु हो।


गुरुपूर्णिमा लाई व्यासजयन्तीका रूपमा पनि मनाइने हुँदा भगवान् श्रीकृष्णका चरित्रले युक्त श्रीमद्भागवत् महापुराण रचना गरी सन्तोष लिनुभएका व्यासजीले सबैका गुरु श्रीकृष्ण हुनुभएको र वहाँकै अनुग्रहले सन्तोषदायक यस पुराणको रचना गरी स्वयं सन्तुष्ट रहेको विषय प्रकट गर्नुभएको हो।


ब्रह्मा, विष्णु र शिवस्वरूप गुरुलाई सर्वोपरि ठान्ने सन्दर्भमा नै शिक्षक, मन्त्रदाता, वेदादि शास्त्रप्रदाता आदि सबैलाई गुरु मानी अज्ञानरूपी अन्धकारबाट उज्यालोतिर लैजाने कार्य गुरुबाट मात्र सम्भव छ भने त्यसका लागि शिष्यादिलाई ज्ञानका शलाकाले आँखा खोल्ने काम पनि गुरुबाट मात्र सम्भव हुने हुँदा त्यस्ता ऐहिक एवं पारलौकिक ज्ञानका दाता गुरुहरूमा सततः नमन् गर्दछु भनिएको छ।

धर्मको जय होस। श्री गुरुजनको आशिर्बाद सदैव रहिरहोस।

 Dr. R B Biswakarma.


क्या आप अपने गोत्र की असली शक्ति को जानते हैं?

यह कोई परंपरा नहीं है। कोई अंधविश्वास नहीं है। यह आपका प्राचीन कोड है।

यह पूरा लेख पढ़िए — मानो आपका अतीत इसी पर टिका हो।

1. गोत्र आपका उपनाम नहीं है। यह आपकी आध्यात्मिक डीएनए है।
पता है सबसे अजीब क्या है?
अधिकतर लोग जानते ही नहीं कि वे किस गोत्र से हैं।
हमें लगता है कि यह बस एक लाइन है जो पंडितजी पूजा में कहते हैं। लेकिन यह सिर्फ इतना नहीं है।

आपका गोत्र दर्शाता है — आप किस ऋषि की मानसिक ऊर्जा से जुड़े हुए हैं।
खून से नहीं, बल्कि विचार, ऊर्जा, तरंग और ज्ञान से।

हर हिंदू आध्यात्मिक रूप से एक ऋषि से जुड़ा होता है।
वो ऋषि आपके बौद्धिक पूर्वज हैं।
उनकी सोच, ऊर्जा, और चेतना आज भी आपमें बह रही है।

2. गोत्र का अर्थ जाति नहीं होता।
आज लोग इसे गड़बड़ा देते हैं।
गोत्र ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र नहीं दर्शाता।
यह जातियों से पहले, उपनामों से पहले, राजाओं से भी पहले अस्तित्व में था।

यह सबसे प्राचीन पहचान का तरीका था — ज्ञान पर आधारित, शक्ति पर नहीं।
हर किसी का गोत्र होता था।
ऋषि अपने शिष्यों को गोत्र देते थे जब वे उनकी शिक्षाओं को ईमानदारी से अपनाते थे।

इसलिए, गोत्र कोई लेबल नहीं — यह आध्यात्मिक विरासत की मुहर है।

3. हर गोत्र एक ऋषि से जुड़ा होता है — एक “सुपरमाइंड” से
मान लीजिए आप वशिष्ठ गोत्र से हैं — तो आप वशिष्ठ ऋषि से जुड़े हैं, वही जिन्होंने श्रीराम और दशरथ को मार्गदर्शन दिया था।

भृगु गोत्र?
आप उस ऋषि से जुड़े हैं जिन्होंने वेदों का हिस्सा लिखा और योद्धाओं को प्रशिक्षण दिया।

कुल 49 मुख्य गोत्र हैं — हर एक ऋषियों से जुड़ा जो ज्योतिषी, वैद्य, योद्धा, मंत्रद्रष्टा या प्रकृति वैज्ञानिक थे।

4. क्यों बुज़ुर्ग एक ही गोत्र में विवाह मना करते थे?
यह बात स्कूल में नहीं सिखाई जाती।

प्राचीन भारत में गोत्र एक जेनेटिक ट्रैकर था।
यह पितृवंश से चलता है — यानी पुत्र ऋषि की लाइन आगे बढ़ाते हैं।

इसलिए अगर एक ही गोत्र के दो लोग विवाह करें, तो वे आनुवंशिक रूप से भाई-बहन जैसे होंगे।
इससे संतान में मानसिक और शारीरिक विकार आ सकते हैं।

गोत्र व्यवस्था = प्राचीन भारतीय डीएनए विज्ञान
और यह हम हजारों साल पहले जानते थे — जब पश्चिमी विज्ञान को जेनेटिक्स का भी अंदाजा नहीं था।

5. गोत्र = आपका मानसिक प्रोग्रामिंग
चलो इसे व्यक्तिगत बनाते हैं।

कुछ लोग गहरे विचारक होते हैं।
कुछ में गहरी आध्यात्मिक भूख होती है।
कुछ को प्रकृति में शांति मिलती है।
कुछ नेता या सत्य के खोजी होते हैं।

क्यों?
क्योंकि आपके गोत्र के ऋषि का मन आज भी आपके अंदर गूंजता है।

अगर आपका गोत्र किसी योद्धा ऋषि का है — आपको साहस महसूस होगा।
अगर वह किसी वैद्य ऋषि से है — तो आयुर्वेद या चिकित्सा में रुचि हो सकती है।

यह संयोग नहीं — यह गहराई से जुड़ा प्रोग्राम है।

6. पहले गोत्र के आधार पर शिक्षा दी जाती थी
प्राचीन गुरुकुलों में सबको एक जैसा नहीं सिखाया जाता था।
गुरु का पहला प्रश्न होता था:
“बेटा, तुम्हारा गोत्र क्या है?”

क्यों?
क्योंकि इससे गुरु समझ जाते थे कि छात्र कैसे सीखता है, कौन सी विद्या उसके लिए उपयुक्त है।

अत्रि गोत्र वाला छात्र — ध्यान और मंत्रों में प्रशिक्षित होता।

कश्यप गोत्र वाला — आयुर्वेद में गहराई से जाता।

गोत्र सिर्फ पहचान नहीं, जीवनपथ था।

7. ब्रिटिशों ने इसका मज़ाक उड़ाया, बॉलीवुड ने हंसी बनाई, और हमने इसे भुला दिया
जब ब्रिटिश भारत आए, उन्होंने इसे अंधविश्वास कहा।

फिर फिल्मों में मज़ाक बना —
“पंडितजी फिर से गोत्र पूछ रहे हैं!” — जैसे यह कोई बेमतलब रस्म हो।

धीरे-धीरे हमने अपने बुज़ुर्गों से पूछना छोड़ दिया।
अपने बच्चों को बताना छोड़ दिया।

100 साल में 10,000 साल पुरानी व्यवस्था लुप्त हो रही है।

उसे किसी ने खत्म नहीं किया। हमने ही उसे मरने दिया।

8. अगर आप अपना गोत्र नहीं जानते — तो आपने एक नक्शा खो दिया है
कल्पना कीजिए कि आप किसी प्राचीन राजघराने से हों — पर अपना उपनाम तक नहीं जानते।

आपका गोत्र = आपकी आत्मा का GPS है।

सही मंत्र

सही साधना

सही विवाह

सही मार्गदर्शन

इसके बिना हम अपने ही धर्म में अंधे होकर चल रहे हैं।

9. गोत्र की पुकार सिर्फ रस्म नहीं होती
जब पंडित पूजा में आपका गोत्र बोलते हैं, तो वे सिर्फ औपचारिकता नहीं निभा रहे।

वे आपको आपकी ऋषि ऊर्जा से दोबारा जोड़ रहे होते हैं।

यह एक पवित्र संवाद होता है:
“मैं, भारद्वाज ऋषि की संतान, अपने आत्मिक वंशजों की उपस्थिति में यह संकल्प करता हूँ।”

यह सुंदर है। पवित्र है। सच्चा है।

10. इसे फिर से जीवित करो — इसके लुप्त होने से पहले
अपने माता-पिता से पूछो।
दादी-दादा से पूछो।
शोध करो, पर इसे जाने मत दो।

इसे लिखो, अपनी संतानों को बताओ। गर्व से कहो:

आप सिर्फ 1990 या 2000 में जन्मे इंसान नहीं हैं —
आप एक ऐसी ज्योति के वाहक हैं जो हजारों साल पहले किसी ऋषि ने जलाई थी।

11. आपका गोत्र = आत्मा का पासवर्ड
आज हम वाई-फाई पासवर्ड, नेटफ्लिक्स लॉगिन याद रखते हैं...

पर अपने गोत्र को भूल जाते हैं।

वो एक शब्द — आपके भीतर की

चेतना

आदतें

पूर्व कर्म

आध्यात्मिक शक्तियां

…सब खोल सकता है।

यह लेबल नहीं — यह चाबी है।

12. महिलाएं विवाह के बाद गोत्र “खोती” नहीं हैं
लोग सोचते हैं कि विवाह के बाद स्त्री का गोत्र बदल जाता है। पर सनातन धर्म सूक्ष्म है।

श्राद्ध आदि में स्त्री का गोत्र पिता से लिया जाता है।
क्योंकि गोत्र पुरुष रेखा से चलता है (Y-क्रोमोज़ोम से)।
स्त्री ऊर्जा को वहन करती है, लेकिन आनुवंशिक रूप से उसे आगे नहीं बढ़ाती।

इसलिए स्त्री का गोत्र समाप्त नहीं होता — वह उसमें मौन रूप से जीवित रहता है।

13. भगवानों ने भी गोत्र का पालन किया
रामायण में श्रीराम और सीता के विवाह में भी गोत्र जांचा गया:

राम: इक्ष्वाकु वंश, वशिष्ठ गोत्र

सीता: जनक की पुत्री, कश्यप गोत्र

जय श्री राम।





🕉️ 🙏 * आज ग्रह, नक्षत्रों की चाल और विभिन्न उपयोगी बातें*  🙏 🕉️



 🌤️ *दिनांक - 10 जुलाई 2025*

🌤️ *दिन -  गुरूवार*

🌤️ *विक्रत संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*

🌤️ *शक संवत -1947*

🌤️ *अयन - दक्षिणायन*

🌤️ *ऋतु - वर्षा ॠतु* 

🌤️ *मास - आषाढ*

🌤️ *पक्ष - शुक्ल* 

🌤️ *तिथि - पूर्णिमा 11 जुलाई रात्रि 02:06 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*

🌤️ *नक्षत्र - पूर्वाषाढा 11 जुलाई प्रातः 05: 56 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*

🌤️ *योग - इन्द्र रात्रि 09:38  तक तत्पश्चात वैधृति*

🌤️ *राहुकाल - दोपहर 02:24 से शाम 04:04 तक*

🌤️ *सूर्योदय - 06:04*

🌤️ *सूर्यास्त -  07:23*

👉 *दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे*

🚩 *व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा, आषाढी पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा, गुरू पूर्णिमा, ऋषिप्रसाद जयंती, संयासी चतुर्मास आरंभ*

💥 *विशेष - पूर्णिमा एवः व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

            🌷 *गुरु पूजन* 🌷

🌷 *गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |*

*गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||*

*ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम् |*

*मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ||*

*अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् |*

*तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ||*

*त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव |*

*त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ||*

*ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं |*

*द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्षयम् ||*

*एकं नित्यं विमलं अचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् |*

*भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ||*

🙏🏻 *ऐसे महिमावान श्री सदगुरुदेव के पावन चरणकमलों का षोड़शोपचार से पूजन करने से साधक-शिष्य का हृदय शीघ्र शुद्ध और उन्नत बन जाता है | मानसपूजा इस प्रकार कर सकते हैं |*

🙏🏻 *मन ही मन भावना करो कि हम गुरुदेव के श्री चरण धो रहे हैं … सर्वतीर्थों के जल से उनके पादारविन्द को स्नान करा रहे हैं | खूब आदर एवं कृतज्ञतापूर्वक उनके श्रीचरणों में दृष्टि रखकर … श्रीचरणों को प्यार करते हुए उनको नहला रहे हैं … उनके तेजोमय ललाट में शुद्ध चन्दन से तिलक कर रहे हैं … अक्षत चढ़ा रहे हैं … अपने हाथों से बनाई हुई गुलाब के सुन्दर फूलों की सुहावनी माला अर्पित करके अपने हाथ पवित्र कर रहे हैं … पाँच कर्मेन्द्रियों की, पाँच ज्ञानेन्द्रियों की एवं ग्यारहवें मन की चेष्टाएँ गुरुदेव के श्री चरणों में अर्पित कर रहे हैं …*

🌷 *कायेन वाचा मनसेन्द्रियैवा बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात् |*

*करोमि यद् यद् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि ||*

🙏🏻 *शरीर से, वाणी से, मन से, इन्द्रियों से, बुद्धि से अथवा प्रकृति के स्वभाव से जो जो करते  हैं वह सब समर्पित करते हैं | हमारे जो कुछ कर्म हैं, हे गुरुदेव, वे सब आपके श्री चरणों में समर्पित हैं … हमारा कर्त्तापन का भाव, हमारा भोक्तापन का भाव आपके श्रीचरणों में समर्पित है |*

🙏🏻 *इस प्रकार ब्रह्मवेत्ता सदगुरु की कृपा को, ज्ञान को, आत्मशान्ति को, हृदय में भरते हुए, उनके अमृत वचनों पर अडिग बनते हुए अन्तर्मुख हो जाओ … आनन्दमय बनते जाओ …*

*ॐ आनंद ! ॐ आनंद ! ॐ आनंद !*🙏🏻 


*जुलाई पंचक 2025 तिथि*


पंचक आरंभ: जुलाई 13, 2025, रविवार को शाम 06:53 बजे

पंचक अंत: जुलाई 18, 2025, शुक्रवार को तड़के सुबह 03:39 बजे

         🙏🏻🌷🌻🌹🍀🌺🌸🍁💐🙏🏻*जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभ कामनाएं, बधाई और शुभ आशीष l*


दिनांक 10 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 1 होगा। आप राजसी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। आपको अपने ऊपर किसी का शासन पसंद नहीं है। आप साहसी और जिज्ञासु हैं। आपका मूलांक सूर्य ग्रह के द्वारा संचालित होता है।

 

आप सौन्दर्यप्रेमी हैं। आपमें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला आपका आत्मविश्वास है। इसकी वजह से आप सहज ही महफिलों में छा जाते हैं। आप अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं। आपकी मानसिक शक्ति प्रबल है। आपको समझ पाना बेहद मुश्किल है। आप आशावादी होने के कारण हर स्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं।


 

शुभ दिनांक : 1, 10, 20, 28

 

शुभ अंक : 1, 10, 20, 28, 37, 46, 55, 64, 73, 82

 

शुभ वर्ष : 2026, 2044, 2053, 2062



 

ईष्टदेव : सूर्य उपासना तथा मां गायत्री

 

शुभ रंग : लाल, केसरिया, क्रीम,

 *जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल* :

स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष उत्तम रहेगा। पारिवारिक मामलों में महत्वपूर्ण कार्य होंगे। अविवाहितों के लिए सुखद स्थिति बन रही है। विवाह के योग बनेंगे। नौकरीपेशा के लिए समय उत्तम हैं। पदोन्नति के योग हैं। बेरोजगारों के लिए भी खुशखबर है इस वर्ष आपकी मनोकामना पूरी होगी। यह वर्ष आपके लिए अत्यंत सुखद रहेगा। अधूरे कार्यों में सफलता मिलेगी।

             *आज का राशिफल*

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आपकी रुचि धर्म-कर्म में अधिक रहेगी। फिर भी कोई ना कोई व्यवधान आने से इसके लिए समय कम ही निकाल पाएंगे। आलसी प्रवृति के कारण कार्य क्षेत्र पर आलोचना होगी अधिकारी वर्ग आपकी गलती पकड़ने में लगे रहेंगे सतर्क रहें। आज आपका मन कार्य क्षेत्र पर कम मौज-शौक की ओर ज्यादा भटकेगा। काम वासना भी अधिक रहेगी। व्यर्थ के खर्च भी आज अधिक करेंगे। पारिवारिक वातावरण उथल-पुथल रहने पर भी दिनचर्या सामान्य रूप से चलती रहेगी। तीर्थ यात्रा के प्रसंग बनेंगे। सेहत आज ठीक ठाक ही रहेगी।


वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आपका आज का दिन भी कुछ विशेष नही रहेगा कल की ही भांति आज भी कारोबार अथवा अन्य धन संबंधित कार्य बाधा आने से अटके रहेंगे फिर भी आज खर्च लायक आमद जोड़ तोड़ करने से हो ही जाएगी। पारिवारिक अथवा अन्य कारणों से यात्रा करनी पड़ेगी आज धन खर्च के साथ आकस्मिक दुर्घटना अथवा चोटादि लग्ने का भी भय है सावधानी रखें। स्वभाव में स्वार्थ सिद्धि दिखेगी इस कारण अन्य लोग भी आज आपसे मतलब से ही बात करेंगे। धार्मिक कार्य मे अरुचि रहेगी फिर भी आज किये गए पूण्य कर्म शीघ्र फलदायी रहेंगे। घर का वातावरण अस्तव्यस्त रहेगा आज का दिन धैर्य से बिताएं।


मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज की परिस्थिति भी आपके लिए अनुकूल बनी रहेगी आज आलस्य ना करें समय का लाभ उठाएं धन लाभ के अच्छे अवसर मिलेंगे। व्यवसाय से अगर चाहे तो मनचाहा लाभ अर्जित किया जा सकता है इसके लिए दृढ़ संकल्प शक्ति की आवश्यकता है। धन लाभ आज हर परिस्थिति में होकर ही रहेगा। शारीरिक रूप से कुछ सुस्ती रहेगी नसों में दुर्बलता रहने से कमजोरी अनुभव करेंगे। पारिवारिक स्थिति में आर्थिक उलझने कम होने से कुछ सुधार आएगा। घर बाहर के लोगो से सम्मान मिलेगा नए संबंध बनेंगे। धर्म मे निष्ठा बढ़ेगी। 


कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आप धन लाभ के साथ ही घरेलू सुख के साधनों में भी वृद्धि कर सकेंगे। भोजन अथवा अन्य खाद्य सामग्री पर खर्च भी करना होगा। मितव्ययता से चलने पर भी कुछ अनावश्यक खर्च परेशान कर सकते है। व्यापार में आज आशा से थोड़ी कम बिक्री रहेगी फिर भी दैनिक खर्च आसानी से निकल जाएंगे। गृहस्थ की जिम्मेदारी में कमी आने से महिलाये राहत में रहेंगी। आज मामूली बात पर क्रोध आएगा इससे बचने का प्रयास करें वार्ना किसी के अपशब्द सुनने पड़ेंगे। मध्यान बाद संताने शुभ समाचार देंगी। 


सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन विवेकी व्यवहार अपनाएंगे जिससे व्यर्थ के झगड़ो से बचे रहेंगे। कार्य व्यवसाय में आज कुछ विशेष सफलता नही मिलेगी फिर भी जितना मिले उसी में संतोष का परिचय देंगे। लेकिन परिवार में आज किसी सदस्य की इच्छा पूर्ति ना होने पर वातावरण खराब हो सकता है। नए कार्य की योजना बना रहे है तो अभी रुके वार्ना धन संबंधित उलझनों में फंस सकते है। नौकरी पेशा जातक काम मे ऊबन अनुभव करेंगे। मनोरंजन के अवसर नही मिलने से निराशा बढ़ेगी। संध्या का समय दिन की तुलना में मानसिक रूप से शांति दिलाएगा। सेहत लगभग ठीक ही रहेगी।


कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप व्यर्थ की बयानबाजी से बचें स्वभाव में भी अहम कुछ अधिक ही रहेगा गलती करके भी उद्दंडता दिखाना आज भारी पड़ सकता है। घर एवं बाहर कलह के प्रसंग बनेंगे। आज आप स्वयं तो बेपरवाह रहेंगे परन्तु घर के सदस्य एवं अन्य लोगो को परेशान करेंगे। कार्य क्षेत्र में भी आपकी गलती से आर्थिक नुकसान हो सकता है सहकर्मियों से आज बना कर रहे अन्यथा किसी बड़ी मुश्किल में फंसने की सम्भवना है। आय की अपेक्षा खर्च अधिक होगा। सरकारी एवं अन्य उलझनों वाले कार्य आज टालना ही बेहतर है।


तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आपकी दिनचर्या आडम्बर युक्त अधिक रहेगी। लेकिन आज किसी भी बात को बढ़ा चढ़ा कर पेश करना आपको ही मुश्किल में।डालेगा। सरकार संबंधित कागजी कार्य आज आसानी से पूर्ण हो सकेंगे लेकिन धन खर्च भी होगा। व्यवसाय में ले देकर काम चलाने की प्रवृति शुरू में हानि लेकिन बाद में लाभदायक सिद्ध होगी। आज किसी के मनमाने व्यवहार के कारण तीखी बहस भी हो सकती है जिसमे विजय आपकी ही होगी आपका सामाजिक व्यक्तित्त्व निखरेगा। परिवार के बीच मौन रहने से कई समस्याओं के समाधान स्वतः ही हो जायेगा। प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलेगी। आरोग्य बना रहेगा।


वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आप किसी कार्य को लेकर कुछ ज्यादा ही मानसिक बोझ लेंगे जिससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सर अथवा शरीर के अन्य अंगों में दर्द की शिकायत रह सकती है। कार्य क्षेत्र पर सामान्य से कम व्यवसाय रहेगा फिर भी बुद्धिबल से कठिन परिस्थिति में भी हार नही मानेंगे धन की आमद आज अकस्मात होने वाली है। सरकारी कार्य आज करने से शीघ्र सफल हो सकते है। घर मे किसी की जिद के कारण माहौल कुछ समय के लिये थोड़ा अस्त व्यस्त बनेगा। बड़े बुजुर्गों का मार्गदर्शन मिलेगा।


धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन भी आपके लिए शुभ बना रहेगा कुछ मामूली उलझनों को छोड़ दैनिक कार्य सामान्य गति से चलते रहेंगे। नौकरी धंधे से अपेक्षित लाभ कमाने के लिए आज किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन आपके उदासीन व्यवहार के कारण सहयोग प्राप्त करने में थोड़ा विलंब हो सकता है। व्यवसायी वर्ग दिन के आरंभ में परेशान रहेंगे लेकिन बाद में आर्थिक समस्या का समाधान होने से शांति मिलेगी। पारिवारिक सुख आज सामान्य रहेगा। कुछ समय के लिये शारीरिक स्फूर्ति खत्म जैसी लगेगी दवा लेने पर सामान्य हो सकती है।


मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन भी आपको प्रतिकूल फल देने वाला है। आज भला करने पर भी बुराई ही मिलेगी। गृहस्थ में भी वैर-विरोध अधिक रहने से मानसिक रूप से हताश रहेंगे। कार्य व्यवसाय में आकस्मिक हानि हो सकती है। देख परख कर ही कोई कार्य हाथ मे लें। नए अनुबंध और उधारी के व्यवहार से बचें।  नौकरी पेशा जातक एवं व्यापारी भी किसी सरकारी उलझन में फंस सकते है। आज लाभ कमाने के लिए स्वभाव में सरलता ही एकमात्र रास्ता है। भाई बंधुओ से कोई मामूली बात निकट भविष्य में गहरा सकती है स्वभाव में अधिक खुलापन आज ठीक नही। फिजूल खर्ची अधिक रहेगी।


कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आपके लिए लाभदायी रहेगा लेकिन मन की चंचलता बने बनाये लाभ पर पानी भी फेर सकती है। दिन के आरंभ में कार्यो में सहज सफलता मिलने से अतिआत्मविश्वाश की भावना अन्य कार्यो को बिगाड़ सकती है विवेक से काम लें आज लाभ अवश्य होकर रहेगा। सौंदर्य प्रसाधन अथवा अन्य सुखोपभोग की वस्तुओं पर खर्च करेंगे। विपरीत लिंगीय के प्रति आज आकर्षण अधिक रहने से शीघ्र समर्पण कर देंगे। लघु यात्रा हो सकती है। स्वास्थ्य आज ठीक रहेगा फिर भी चोट आदि से परेशानी होने की सम्भवना है, सतर्क रहें।


मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके अनुकूल रहेगा लेकिन आज आपके बनते कार्यो में कोई ना कोई टांग अवश्य अड़ाएगा इसे अनदेखा कर अपने कार्यो में लगे रहे अगर विरोध किया तो लाभ से वंचित रह जाएंगे। मित्रो खास कर प्रेम प्रसंगों के कारण आज अधिक खर्च होगा फिर भी सुख की प्राप्ति आशानुकूल नही होगी। धन लाभ थोड़े विलम्ब से लेकिन आवश्यकतानुसार हो जाएगा। सार्वजनिक कार्यो में दिखावे के लिए भाग लेंगे फिर भी सम्मान मिलेगा। सेहत में थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव रहने पर भी दैनिक कार्य प्रभावित नही होंगे।


https://youtu.be/oNn3EACfjow



*🕉️प्रातः श्री हरि विष्णु परमात्मने नमः🚩*

*वन्देमहापुरुषतेचरणार्विन्म्*

*🙏🕉️🙏हरिशरणम्  🕉️ 🙏🕉️सनातन धर्म की जय,🙏

🌻भारत माता की जय 🌹 

🙏🕉हरि🕉🙏

हरि 🕉🙏गूरु पूर्णिया पर सभी गुरु जनौ को  प्रणाम ।🙏नमन🙏🕉


*गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ।*

*गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥*


*शाब्दिक अर्थः*गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु देव महेश्वर शिव हैं, गुरु ही वस्तुतः परब्रह्म परमेश्वर हैं; ऐसे श्रीगुरु के प्रति मेरा नमन है 


   🙏नारायण ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात। 🙏


🙏गुरु 🕉 वृषभध्वजाय विद्महे क्रुनिहस्ताय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ।                                                            🙏🌹                                                                    शुभप्रभात  आपका दिन मधुर  और मंगलमय हो ।🌹🌷






[10/07, 12:14 pm] Cd Adv Manmohan Lib73पंडित मनमोहन शर्मा अधिवक्ता अध्यक्ष पअखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा उत्तराखंड: 🙏 समस्त देशवासियों को अखिल भारत वर्षीय ब्राहमण महासभा उत्तराखंड की ओर से गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! 🌕


भारत की गुरु-शिष्य परंपरा केवल एक सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और आत्मिक मार्गदर्शन का अमूल्य प्रतीक है।

गुरु पूर्णिमा का यह शुभ अवसर हमें जीवन में गुरुजनों के अपार योगदान की स्मृति दिलाता है —

वे जो अज्ञान के अंधकार में दीप बनकर मार्ग दिखाते हैं 🔥📖


🌼 आइए आज के दिन हम अपने सभी आदरणीय गुरुओं को श्रद्धा से नमन करें।उनके सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लें और ज्ञान के पथ पर अग्रसर हों। ✨


मनमोहन शर्मा एडवोकेट 

 अध्यक्ष 

अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा उत्तराखंड


गुरु पूर्णिमा पर लिया आशीर्वाद

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